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इस्लाम ज़िंदा होता है हर कर्बला के बाद.......
10 मोहर्रम आशुर को यह ब्लोग पहली बार लिख़ा गया। ईस पर अज़ादारी के मातम/मरसीयों का ईंतेज़ार रहेगा।
Tuesday, February 23, 2010
"ईदे ज़हेरा" मुबारक
आज सभी
मोहिब्बाने
अहलेबैत
को
"
ईदे
ज़हेरा
"
की
मुबारकबादी
पेश करती हुं।
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